चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 434 वीआईपी लोगों की सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा करने के आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक जब तक सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा नहीं हो जाती है, तब तक उन लोगों को एक सुरक्षा अधिकारी दिया जाए, जिनकी सुरक्षा वापस ले ली गई थी। इस प्रक्रिया में प्राधिकरण को राज्य और केंद्रीय एजेंसियों सहित विभिन्न एजेंसियों से उपलब्ध इनपुट पर विचार करने के लिए कहा गया है। न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि सुरक्षा की वापसी के मुद्दे को सार्वजनिक डोमेन के तहत लाने के मद्देनजर लाभार्थियों की आशंका को दूर करने के लिए निरंतर अभ्यास की आवश्यकता थी। न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह ने फैसला सुनाया कि अंतरिम व्यवस्था विशेष रूप से तब तक लागू रहेगी, जब तक कि राज्य सुरक्षा नीति के अनुसार नए सिरे से मूल्यांकन नहीं किया जाता है।
फैसले में कहा गया कि सुरक्षा मुहैया कराए जाने का मामला पूरी तरह से राज्य के अधिकार क्षेत्र का मामला है, लेकिन इस बात को अनदेखा भी नहीं किया जा सकता कि शरारती तत्व इस बात का अनुचित लाभ उठाते हैं। इस मुद्दे पर 45 याचिकाओं पर निर्देश आए हैं, जिनमें से एक पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री ओपी सोनी द्वारा वकील मधु दयाल के माध्यम से की गई थी। सोनी उस आदेश को रद्द करने की मांग कर रहे थे जिसमें ‘जेड’ से उनकी सुरक्षा को डी-कैटिगरी के तहत लाया गया था। न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह ने कहा कि सुरक्षा का मुद्दा एक स्थिर घटना नहीं है, लेकिन विभिन्न एजेंसियों द्वारा आधिकारिक इनपुट के आधार पर सुरक्षा के खतरे का आकलन करके समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए। पूर्व विधायक बलबीर सिंह सिद्धू, गुरचरण सिंह बोपाराय, सुखविंदर सिंह, कृष्ण कुमार, देशराज दुग्गा और कई अन्य नेताओं ने भी सुरक्षा बहाल करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।