नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने बुधवार को कहा कि सशस्त्र बलों में वन रैंक-वन पेंशन एक नीतिगत फैसला है और इसमें कोई संवैधानिक दोष नहीं है। केंद्र ने 2015 में वन रैंक वन पेंशन डिफेंस सेक्टर में लागू किया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि ओआरओपी का केंद्र का नीतिगत फैसला मनमाना नहीं है और सरकार के नीतिगत मामलों में न्यायालय दखल नहीं देगा।
पीठ ने निर्देश दिया कि ओआरओपी के फिर से निर्धारित करने की कवायद एक जुलाई, 2019 से की जानी चाहिए और पेंशनभोगियों को बकाया भुगतान तीन महीने में होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने सेवानिवृत्त सैनिक संघ द्वारा दायर उस याचिका का निपटारा किया, जिसमें भगत सिंह कोश्यारी समिति की सिफारिश पर पांच साल में एक बार आवधिक समीक्षा की वर्तमान नीति के बजाय स्वतरू वार्षिक संशोधन के साथ ‘वन रैंक वन पेंशन’ को लागू करने का अनुरोध किया गया था।