सियालकोट। पाकिस्तान के सियालकोट में रविवार दोपहर सिलसिलेवार धमाकों की गूंज सुनाई दी। सियालकोट स्थित पाक सेना के गोला-बारूद डिपो में ये ब्लास्ट हुए। पाकिस्तानी सेना के मीडिया एंड पीआर विंग आईएसपीआर ने जानकारी दी कि सियालकोट मिलिट्री बेस में अचानक आग लग गई, जिससे यह हादसा हो गया, हालांकि इस घटना में कोई नुकसान नहीं हुआ है।
इससे पहले मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तरी पाकिस्तान में सियालकोट मिलिट्री बेस पर कई विस्फोट हुए हैं। प्रारंभिक संकेत ये मिल रहे हैं कि यह एक गोला बारूद स्टोरेज एरिया है। धमाके के बाद एक बड़ी आग जलती हुई देखी गई। अभी तक विस्फोट के पीछे की असल वजह का पता नहीं चल पाया है।
लोकल मीडिया के अनुसार पाक सेना द्वारा एयर-टू-एयर मिसाइल पीएल-15 का टेस्ट किया जा रहा था, जो पूरी तरह नाकाम रहा। जे10-सी फाइटर जेट से छोड़े जाने के बाद यह मिसाइल बेकाबू हो गई और सियालकोट में जा गिरी। इस घटना के कई वीडियोज सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी नागरिकों की ओर से पोस्ट किए गए हैं। सियालकोट छावनी, सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण पाकिस्तानी सेना के ठिकानों में से एक, शहर से सटा हुआ इलाका है। इसकी स्थापना 1852 में ब्रिटिश भारतीय सेना द्वारा की गई थी।
यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान वर्तमान में अपनी सरकार बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दो विपक्षी दलों द्वारा उनकी सरकार के खिलाफ देश की संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। इमरान खान अपने ही सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर विद्रोह का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के कम से कम 100 सांसदों ने 8 मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय के समक्ष एक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की सरकार देश में आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है।
इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किए जा रहे हैं। जिनमें दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना के सियालकोट आयुध डिपो पर कोई बाहरी चीज पहले आकर गिरी, इसके बाद वहां पर आग लग गई। आयुध डिपो में एक के बाद एक कई बार धमाकों से पूरा इलाका थर्रा उठा। सियालकोट का कैंटोनमेंट इलाका पाकिस्तानी सेना के सबसे पुराने सैन्य अड्डों में से एक है। यह शहर से पूरी तरह से सटा हुआ है। इसे ब्रिटिश भारतीय सेना ने साल 1852 में बनाया था।