नई दिल्ली। देश में सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए, केंद्र सरकार ने अंतर-राज्यीय परिषद का पुनर्गठन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस परिषद के अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और छह केंद्रीय कैबिनेट मंत्री सदस्य होंगे। प्रधानमंत्री अंतरराज्यीय परिषद के अध्यक्ष हैं जबकि विधानसभा वाले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों तथा बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को परिषद का सदस्य बनाया गया है। पिछले सप्ताह जारी एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, 10 केंद्रीय मंत्री भी अंतरराज्यीय परिषद में स्थायी रूप से आमंत्रित होंगे। सरकार ने परिषद की स्थायी समिति का भी पुनर्गठन किया है। गृह मंत्री अमित शाह समिति के अध्यक्ष होंगे। जिन केंद्रीय मंत्रियों को परिषद का सदस्य बनाया गया है उनमें राजनाथ सिंह, अमित शाह, निर्मला सीतारमण, नरेंद्र सिंह तोमर, वीरेंद्र कुमार, हरदीप सिंह पुरी, नितिन गडकरी, एस जयशंकर, अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, प्रह्लाद जोशी, अश्विनी वैष्णव, गजेंद्र सिंह शेखावत, किरेन रिजिजू और भूपेंद्र यादव शामिल हैं। अंतर-राज्यीय परिषद का काम देश में सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने और सहयोग करने के लिए एक मजबूत संस्थागत ढांचा तैयार करना, इसकी नियमित बैठकों का आयोजन करके परिषद और क्षेत्रीय परिषदों को सक्रिय करना है। यह क्षेत्रीय परिषदों और अंतरराज्यीय परिषद द्वारा केंद्र-राज्य और अंतर-राज्य संबंधों के सभी लंबित और उभरते मुद्दों पर विचार करने की सुविधा प्रदान करती है। साथ ही, अंतरराज्यीय परिषद और क्षेत्रीय परिषदों की सिफारिशों के क्रियान्वयन की निगरानी की प्रणाली भी विकसित करती है। स्थायी समिति के पास परिषद के विचार के लिए निरंतर परामर्श और प्रक्रिया के मामले होंगे। केंद्र-राज्य संबंधों से संबंधित सभी मामलों पर अंतरराज्यीय परिषद में विचार करने से पहले स्थायी समिति में चर्चा की जाएगी। स्थायी समिति परिषद की सिफारिशों पर लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की निगरानी भी करती है और अध्यक्ष या परिषद द्वारा संदर्भित किसी अन्य मामले पर विचार करती है। स्थायी समिति, यदि आवश्यक हो, संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श करते समय विशेषज्ञों और विशिष्ट क्षेत्रों में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को उनके विचारों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित कर सकती है।