नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवासी कामगारों की समस्या पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों पर भुखमरी को लेकर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के बावजूद लोग अभी भी भूख से मर रहे हैं। जबकि कई बार कहा गया है कि देश में कोई भी नागरिक भूख से न मरे और केंद्र और राज्यों को उन्हें भोजन उपलब्ध कराने के लिए काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी प्रवासी कामगारों को रियायती खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए राशन कार्ड दिए जाने चाहिए और इसे कैसे लागू किया जाए, इस पर केंद्र से सुझाव मांगा है। प्रवासी कामगारों की समस्या पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने ये बात कही है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते हमारे देश में, दो व्यक्ति सबसे महत्वपूर्ण हैं, पहला किसान और दूसरा प्रवासी मजदूर। प्रवासी मजदूर देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जस्टिस शाह ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में किसान और प्रवासी मजदूर ये दो वर्ग है जो मदद के पात्र हैं। उनकी मदद में कुछ राज्य पिछड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई राज्यों आधे लक्ष्य तक नही पहुंच सके है। जस्टिस शाह ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के बावजूद लोग अभी भी भूख से मर रहे हैं। यह चिंता का विषय है। जबकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत केंद्र और राज्य सभी को भोजन मुहैया कराएंगे। जिससे देश में कोई भी नागरिक भूख से न मरे।