लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनाव के बाद अब योगी सरकार 2.0 के गठन की जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दी गई है। बीजेपी ने शाह और झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास को यूपी का पर्यवेक्षक बनाया है। इसके बाद शाह सिर्फ विधायक दल के नेताओं का चुनाव ही नहीं बल्कि 2024 के सियासी पिच के लिए योगी टीम का भी गठन करने में अहम रोल अदा करने वाले हैं।
दरअसल, यूपी में बीजेपी के सियासी वनवास को खत्म करने में अमित शाह की अहम भूमिका रही है। इतना ही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कमल खिलाने का जिम्मा अमित शाह ने निभाया था, जिस पिच पर 2022 के चुनाव में सीएम योगी ने जबरदस्त तरीके से पारी खेली। इसका नतीजा है कि बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ इतिहास रचने में कामयाब रही। शाह को 2024 के लिए सियासी जमीन तैयार करने के लिए जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को देखते हुए टीम गठन करने का जिम्मा सौंपा गया है।
बता दें कि तीनों कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन का यूपी चुनाव में असर दिखने के भरपूर प्रयास के बावजूद पश्चिम यूपी में बीजेपी का प्रदर्शन उम्मीद से कहीं बेहतर रहा। बुंदेलखंड और अवध में भगवा खेमा फिर मजबूत रहा, जबकि काशी और गोरखपुर की सभी सीटें जीतने के बावजूद बाकी पूर्वी यूपी में सपा मजबूत नजर आई। इसके बाद में तमाम आशंकाओं और विरोधी प्रयासों को नजरअंदाज कर बीजेपी के साथ आए तमाम समुदाय को भाजपा खुश करना चाहेगी। बड़ी जीत दिलाने वाले में अन्य पिछड़ा वर्ग प्रदेश में सबसे बड़ी ताकत हैं,तब इस बार दलित ने भी भाजपा का खूब दमखम बढ़ाया है।
यूपी में बीजेपी के विधायक दल के नेता के लिए योगी आदित्यनाथ का नाम लगभग तय है। बीजेपी सीएम योगी के चेहरे पर ही चुनाव मैदान में उतरी थी और 273 सीटों से साथ एतिहासिक जीत दर्ज की है। इसके बाद सीएम योगी का विधायक दल का नेता चुना जाना तय माना जा रहा है। बीजेपी के विधायक दल की बैठक में नेता का चुनाव औपचारिकता भर है।
वहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भले ही सिराथू सीट से विधानसभा चुनाव हार गए हों, लेकिन उनका सियासी कद बीजेपी में कम नहीं होगा। केशव मौर्य को सियासी तौर पर बढ़ाने में शाह की अहम भूमिका रही है।शाह के पर्यवेक्षक बनने के बाद माना जा रहा की केशव मौर्य को सियासी तौर पर अहमियत दी जाएगी और उन्हें ओबीसी नेता के तौर पर मुख्यरूप से रखा जाएगा।2017 में केशव मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया गया था। इस पद पर उन्हें दोबारा से बरकरार रखा जा सकता है। सूत्रों की मानें केशव मौर्य खुद डिप्टी सीएम नहीं बनना चाहते हैं, तब यूपी अध्यक्ष की कमान दोबारा से सौंपी जा सकती है।
बीजेपी ने शाह को यूपी का पर्यवेक्षक बनाया हैं, इसकारण माना जा रहा है कि वहां कई इसतरह के फैसले लेने वाले हैं, जो सरप्राइज करने वाले हो सकते हैं। माना जा रहा है कि इस बार कई बड़े नेताओं को मंत्रिमंडल से छुट्टी हो सकती है,तब पार्टी संगठन के कई नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया जाएगा है। सूत्रों की मानें यह फैसला अमित शाह लेते हैं, तब पार्टी में कोई विरोध के सुर नहीं उठा सकेगा।योगी कैबिनेट में कई इसतरह के चेहरे लाए जा सकते हैं, जो आश्चर्यचकित करने वाले हो सकते हैं। योगी मंत्रिमंडल के गठन से सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास का संदेश देना लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण से बहुत जरूरी माना जा रहा है।
यूपी में मिली जीत के द्वारा बीजेपी 2024 की सियासी पिच तैयार करना चाहती है। इसके बाद शाह पर्यवेक्षक के तौर पर योगी टीम गठन करने वाले हैं, जिसके जरिए जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधना चाहते हैं। खासकर जहां पर जनता ने भरपूर समर्थन दिया है, वहां के विधायकों को मंत्रिमंडल में प्राथमिकता देकर लोकसभा चुनाव के लिए उन वोटरों को साथ रखा जाए। वहीं, जहां पार्टी को ज्यादा संघर्ष करना पड़ा है, वहां स्थिति को बेहतर करने के लिए विधायकों को मंत्री बनाकर सकारात्मक संदेश देने की रणनीति है। क्षेत्र के साथ ही यही दृष्टिकोण जातियों के समीकरण पर भी है। सूत्रों की मानें किसे योगी टीम में शामिल करना है और किसे नहीं, ये तमाम फैसले शाह लेने वाले हैं।
बीजेपी जिस सोशल इंजीनियरिंग के दम पर यूपी में एक के बाद एक जीत दर्ज कर रही है, वहां सियासी आधार पार्टी अध्यक्ष रहते हुए अमित शाह ने रखा था। शाह ने ओबीसी के जातीय आधार वाले दलों के साथ गठबंधन किया, जिसमें निषाद पार्टी और अपना दल (एस) शामिल है। इन दोनों ही सहयोगी दलों की सीटें बढ़ी हैं। इसके बाद में सूबे की सत्ता में दोनों ही सहयोगी दलों के प्रतिनिधित्व कितना और किस आधार पर हो, इसका भी फैसला होना है।