नई दिल्ली। आपदा कोई भी हो उसका सबसे ज्यादा असर गरीबों और आम आदमी पर ही पड़ता है। पहले महामारी की आपदा ने संकट में डाला और अब महंगाई डायन भी ‘आपदा’ बनती जा रही है। खाने-पीने की चीजों के दाम बेतहाशा बढ़ने से गरीबों को पेट पालना भी मुश्किल होता जा रहा है। खबर के अनुसार, मुंबई के निवासी को अपने सात सदस्यीय परिवार को पालना अब मुश्किल होता जा रहा है। उसका कहना है कि पांच महीने पहले शुरू किया चाट का ठेला अब इसलिए बंद करना पड़ेगा, क्योंकि तेल, गैस के साथ खाने-पीने की अन्य वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ते जा रहे हैं। इसके बाद हमारे लिए पुरानी कीमत पर चाट की प्लेट बेचना मुमकिन नहीं रह गया है और लोग एक प्लेट की कीमत 5 रुपये बढ़ाने से भी पीछे हट रहे हैं। इतना ही नहीं ग्राहकों की संख्या में भी तेजी से कमी आ रही है और हमारा घर चलाना मुश्किल हो गया है।
यह बात किसी से भी छिपी नहीं कि कोरोना महामारी के दौरान करोड़ों कामगारों और मजदूरों का रोजगार छिना था। इसके साथ ही खाने-पीने की वस्तुओं, मकान, हेल्थकेयर और ट्रांसपोर्ट की महंगाई भी 50 फीसदी बढ़ी है। पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधन की कीमतों में वृद्धि होने से लगभग सभी कमोडिटी महंगी हो गई हैं। इतना ही नहीं रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में महंगाई का जोखिम बढ़ रहा है।
महंगाई से परेशान जनता को रिजर्व बैंक ने भी झटका दिया है। आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में अपनी ब्याज दरें यानी रेपो रेट में 0.40 फीसदी की वृद्धि कर दी, जिससे सभी तरह के कर्ज महंगे हुए हैं।इसके बाद लोगों ने नया कर्ज लेना कम कर दिया जिससे खर्च भी घटने लगा। यानी रिजर्व बैंक ने महंगाई काबू में करने के लिए ब्याज दर बढ़ाई लेकिन इससे गरीबों की मुश्किल और बढ़ गई। जानकारों के अनुसार खर्च और खपत में कमी आई तो अर्थव्यवस्था दोबारा सुस्त पड़ेगी।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के आंकड़ों के अनुसार, महामारी के दौरान करीब 70 लाख लोगों ने अपने रोजगार गंवा दिए थे। अभी लोगों के हाथ में पर्याप्त पैसा पहुंचा भी नहीं कि महंगाई ने चुनौतियां बढ़ा दी। आलम यह है कि महंगाई के दबाव में लोगों ने अपने घर का बजट भी बदल दिया और अब सिर्फ बेहद जरूरी खर्चों पर ही जोर दिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि फिलहाल उनकी बचत शून्य हो गई है।एक होटल में काम करने वाले का कहना है कि हम तेल, साबुन जैसी जरूरी चीजों को पहले खरीद लेते हैं, ताकि महीने का बजट बिगड़ न जाए।