नई दिल्ली। मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के हफ्तों बाद, केंद्र ने बुधवार को घोषणा की कि भारत ने मार्च में 177 मिलियन अमरीकी डालर और इस साल अप्रैल में 473 मिलियन अमरीकी डालर का गेहूं निर्यात किया। सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि 2022-23 के लिए भारत में गेहूं का अनुमानित उत्पादन लगभग 105 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) है और इसे अपनी 130 करोड़ आबादी की जरूरतों के लिए 30 मिलियन मीट्रिक टन की जरूरत है। भारत को लगभग 80 करोड़ गरीब और कमजोर आबादी के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजेकेएवाई), और अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसी खाद्य सुरक्षा योजनाओं के लिए 30 एमएमटी की आवश्यकता है। इसके अलावा भारत अपने पड़ोसी देशों और अन्य कमजोर देशों को मानवीय सहायता भी प्रदान करता है। सरकार की गेहूं खरीद विपणन वर्ष 2022-23 में पिछले वित्तवर्ष की तुलना में अब तक 53 प्रतिशत घटकर 182 लाख टन रह गई है। इसका मुख्य कारण निर्यात के लिए निजी कारोबारियों द्वारा गेहूं की आक्रामक खरीदारी करना है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। रबी विपणन वर्ष अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन अधिकांश खरीद जून तक समाप्त हो जाती है। पिछले विपणन वर्ष में अबतक की सर्वाधिक 433.44 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य की खरीद एजेंसियां न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इस अनाज की खरीद करती हैं। गेहूं उत्पादन में गिरावट और निर्यात में वृद्धि के कारण मौजूदा वर्ष के लिए गेहूं खरीद लक्ष्य को संशोधित कर 195 लाख टन कर दिया गया है, जो पहले 444 लाख टन था। सरकारी सूत्रों के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरकारी एजेंसियों द्वारा गेहूं की खरीद कम रही।