नई दिल्ली। बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस समय 36 में से 27 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश उपभोक्ताओं को सब्सिडी वाली बिजली दे रहे हैं। सिर्फ वित्तीय वर्ष 2020-21 में ही 1.32 लाख करोड़ सब्सिडी पर खर्च किए गए। इस लिस्ट में मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक टॉप पर हैं। इन तीनों राज्यों ने 48,248 करोड़ या 36.4 फीसदी के हिसाब से सबसे अधिक बिजली सब्सिडी दे रखी है।
आंकड़ों के अनुसार दिल्ली ने 2018-19 और 2020-21 के बीच अपने सब्सिडी पर 85 फीसदी का इजाफा किया है। यह 2018-19 में 1,699 करोड़ से बढ़कर 3,149 करोड़ हो गई है। दूसरे राज्यों से तुलना की जाए तो यह सब्सिडी में सबसे ज्यादा इजाफा है। तीन साल के डेटा पर नजर डालें तो मणिपुर में इस दौरान बिजली सब्सिडी में सबसे बड़ी 124 फीसदी की उछाल देखी गई है। यह वृद्धि 120 करोड़ से 269 करोड़ तक हुई।
इन आंकड़ों पर चर्चा इसलिए जरूरी है, क्योंकि क्योंकि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में चुनाव से पहले रेवड़ी कल्चर को खत्म करने को लेकर सख्ती दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये एक गम्भीर मुद्दा है और चुनाव आयोग और सरकार इससे पल्ला नहीं झाड़ सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार और चुनाव आयोग इस पर रोक लगाने के लिए विचार करे। दरअसल देश भर में चुनाव से पहले लगभग हर राजनीतिक पार्टियां वोट के लिए बड़े-बड़े ऐलान करती है। खास कर कई राज्यों में बिजली बिल पर भारी-भरकम सब्सिडी दी जाती है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य सरकारों से बिजली कंपनियों के बकाया का भुगतान करने की अपील की थी। राज्य सरकारों पर करीब 2.5 लाख करोड़ का बिल बकाया है। प्रधानमंत्री ने कहा था लोगों को ये जानकर हैरानी होगी कि अलग-अलग राज्यों पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।