भारत और अमेरिका समेत 26 देश दुनिया की सबसे बड़ी नेवल एक्सरसाइज करने जा रहे हैं। यह 29 जून से शुरू होकर 4 अगस्त तक चलेगी। अमेरिका के होनोलूलू और सैन डियागो में इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस ड्रिल का बहुत सीधा सा मकसद चीन को यह दिखाना है कि साउथ चाइना सी समेत दुनिया के किसी भी समुद्री क्षेत्र में उसकी दादागिरी नहीं चलेगी। यह एक्सरसाइज दो साल में एक बार होती है। 2020 में कोविड-19 के चलते आखिरी वक्त में इसे रद्द कर दिया गया था। इस एक्सरसाइज को श्रिम ऑफ पेसिफिक एक्सरसाइज 2022 नाम दिया गया है। क्वॉड में शामिल चारों देश यानी भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ड्रिल में शामिल होंगे। पांच वो देश भी एक्सरसाइज का हिस्सा बनेंगे, जिनका साउथ चाइना सी, यानी दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ सीधा टकराव चल रहा है। लिहाजा, यह मानने में कोई दिक्कत नहीं कि चीन को लेकर कई देशों ने अब मुकाबला करने का मन बना लिया है। अमेरिका इन देशों की सीधी मदद कर रहा है। यह एक्सरसाइज इसलिए भी अहम हो जाती है, क्योंकि हाल ही में चीन ने ऑस्ट्रेलिया की समुद्री सीमा से करीब 2 हजार किलोमीटर दूर सोलोमन आईलैंड्स की सरकार के साथ एक सीक्रेट डील की है। इससे ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया। चूंकि, ऑस्ट्रेलिया क्वॉड का हिस्सा है, इसलिए भी इस एक्सरसाइज की अहमियत ज्यादा हो जाती है। दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में होने वाली इस युद्धाभ्यास में कैरियर स्ट्राइक ग्रुप, एंटी सबमरीन वारफेयर एयरक्राफ्ट और अटैक सबमरीन को शामिल किया जाएगा। इस युद्धाभ्यास का मकसद पारस की खाड़ी के साथ मलक्का स्ट्रेट में चीनी वर्चस्व को हमेशा के लिए खत्म कर देना है। यूएई पहली बार भारत और फ्रांस के साथ मिलकर नौसेना युद्धाभ्यास करने वाला है। क्वाड प्लस देशों की नेवल एक्सरसाइज का उद्देश्य किसी भी आपात स्थिति में चीन पर हमला करने के लिए तैयार होना है। इस युद्धाभ्यास के जरिए सामुहिक तौर पर काम करने के लिए तैयार होने के अलावा, इंडो पैसिफिक में कभी भी कहीं भी लड़ाई करने के लिए तैयार होना है। इसके अलावा समुद्र में अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन हो, इसकी भी रक्षा करना है। इस नेवल एक्सरसाइज का मकसद इंडो पैसिफिक क्षेत्र में गल्फ ऑफ एडेन की तरफ से और पैसिफिक को नॉर्थ की तरफ से यूएस के वेस्टर्न कोस्ट की तरफ से वर्चस्व कायम करना है और दुश्मनों को बताना है कि इंडो पैसिफिक क्षेत्र में हम किसी भी तरह से चीन को घेर सकते हैं। एक तरफ यूक्रेन में जारी जंग ने तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ा रखा है, वहीं दूसरी तरफ विस्तारवादी चीन अपने मंसूबों पर कहीं न कहीं पूरी कामयाबी पाने में लगा हुआ है। चीन ने पूरे इंडो पैसिफिक रीजन को परेशान कर रखा है। हालात ये हैं कि चीन की मनमानी ने पूरे इंडो पैसिफिक रीजन के देशों को युद्ध के साए में रहने पर मजबूर कर दिया है। चीन की इसी दादागिरी का जवाब देने के लिए ही अमेरिका में बड़े स्तर की तैयारी चल रही है। क्वॉड में शामिल चारों देश यानी भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ड्रिल में शामिल होंगे। पांच वो देश भी एक्सरसाइज का हिस्सा बनेंगे, जिनका साउथ चाइना सी, यानी दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ सीधा टकराव चल रहा है। लिहाजा, यह मानने में कोई दिक्कत नहीं कि चीन को लेकर कई देशों ने अब मुकाबला करने का मन बना लिया है। अमेरिका इन देशों की सीधी मदद कर रहा है। यह एक्सरसाइज इसलिए भी अहम हो जाती है, क्योंकि हाल ही में चीन ने ऑस्ट्रेलिया की समुद्री सीमा से करीब 2 हजार किलोमीटर दूर सोलोमन आईलैंड्स की सरकार के साथ एक सीक्रेट डील की है। इससे ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया। चूंकि, ऑस्ट्रेलिया क्वॉड का हिस्सा है, इसलिए भी इस एक्सरसाइज की अहमियत ज्यादा हो जाती है। नेवल एक्सरसाइज चीन के लिए बिल्कुल सीधा संदेश है कि साउथ चाइना सी में मौजूद छोटे देश अब उसका डटकर मुकाबला करने को तैयार हैं। इसकी वजह यह है कि इस एक्सरसाइज में फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया और सिंगापुर भी शामिल हैं। इन देशों की कुल समुद्री सीमा करीब 13 लाख स्क्वेयर किलोमीटर है। एक और अहम बात यह है कि क्वॉड में शामिल चारों देश अब तेजी से मिलिट्री कोऑपरेशन बढ़ा रहे हैं। हालांकि, शुरुआत में इन देशों का मकसद डायरेक्ट मिलिट्री कोऑपरेशन नहीं था।