श्रीलंका के 5 बार के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। विक्रमसिंघे को 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में 134 सांसदों का मत हासिल हुआ। बड़ी बात यह है कि श्रीलंका की संसद में वह अपनी पार्टी के इकलौते सांसद थे, इसके बावजूद उन्हें सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना के समर्थन से जीत हासिल हुई। रानिल विक्रमसिंघे के सामने सबसे बड़ी चुनौती विरोध प्रदर्शनों को रोकना और जनता के बीच सत्ता विरोधी लहर पर काबू पाना होगा। जब से श्रीलंका में आंदोलन शुरू हुआ है, प्रदर्शनकारी लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री बनने पर भी विक्रमसिंघे के इस्तीफे की मांग की गई। जब उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया, तब भी प्रदर्शनकारियों ने उनका इस्तीफा मांगा। प्रदर्शनकारी उन्हें गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे के करीबी के रूप में देखते हैं। इतना ही नहीं, उन्हें वर्तमान आर्थिक संकट के लिए भी जिम्मेदार भी मानते हैं। ऐसे में राष्ट्रपति पद पर उनकी जीत प्रदर्शनकारियों को विरोध तेज करने के लिए प्रेरित कर सकती है। श्रीलंका का विदेशी कर्ज करीब 51 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। ऐसे में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद विक्रमसिंघे का पहला काम अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को बेलआउट पैकेज देने के लिए राजी करना होगा। लेकिन यह काम आसान नहीं होगा क्योंकि आईएमएफ ने कहा है कि इस तरह के पैकेज को अंतिम रूप देने से पहले श्रीलंका को अपने कर्ज को फिर से पुनर्गठित पर बहुत अधिक काम करना होगा और भ्रष्टाचार विरोधी उपायों को कड़ाई से लागू करना होगा। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि श्रीलंका के इस हालात का जिम्मेदार भ्रष्टाचार है। श्रीलंका पिछले 5 महीने से ईंधन की कमी का सामना कर रहा है। पेट्रोल पंपों के बाहर लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं, फिर भी लोगों को ईंधन नहीं मिल पा रहा। जून के अंत में हालात इतने गंभीर हो गए थे कि श्रीलंकाई सरकार ने दो हफ्ते के लिए गैर-आवश्यक सेवाओं में लगे वाहनों के लिए पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। कमी के कारण श्रीलंका में ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं। हालांकि, 17 जुलाई को कीमतों में संशोधन किया गया था। जिसके बाद सरकारी सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (सीपीसी) ने पेट्रोल ऑक्टेन 92 की कीमत 450 श्रीलंकाई रुपए प्रति लीटर, पेट्रोल ऑक्टेन 95 की कीमत 540 रुपए प्रति लीटर, सुपर डीजल की कीमत 520 रुपए प्रति लीटर और ऑटो डीजल की कीमत 440 रुपए कर दी गई। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार मुश्किल से तीन महीने के लिए आयात का भुगतान कर सकता है। ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रही सरकार ने अमेरिकी डॉलर के लेन-देन को सीमित करने और कृषि रसायनों, वाहनों और मसालों के आयात को कम करने जैसे कुछ कदम उठाए हैं। इसके बावजूद श्रीलंका का आयात चाय, रबर आदि के निर्यात के मूल्य से अधिक है। अब विक्रमसिंघे को देश के कर्ज का पुनर्गठन करने, उसकी अदायगी के साथ श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार की फिर से भरकर उसमें संतुलन लाना होगा। विक्रमसिंघे के लिए चीन के कर्ज के जाल से बाहर निकलना मुश्किल काम होगा। श्रीलंका पर चीन के बैंकों और अन्य संस्थाओं का 7 बिलियन डॉलर से अधिक का बकाया है। श्रीलंका पर निजी क्षेत्र के बॉन्ड निवेशकों का भी करीब 25 अरब डॉलर बकाया है। इसके शीर्ष पर, चीन ने श्रीलंका को ऋण माफ करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में श्रीलंका के सामने चीनी कर्ज के जाल से बाहर निकलना और उसके कर्ज को चुकाने की गंभीर चुनौती खड़ी है।